चोरी व ठगी
जब भी हम किसी भीड़ वाले इलाके से पैदल गुजरते हैं तो बार-बार अपनी जेबें, पर्स, बैग आदि को चैक करते हैं।क्योंकि हमें डर रहता है कि कोई हमारे सामान को चुरा न ले। ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें आम तौर पर अपने चारों ओर विचरने वाले लोग चोर उचक्के ही नजर आते है। हम में से कुछ इस तरह की चोरी या ठगी के शिकार हो चुके होते है या फिर हमने अपने दोस्त - रिश्तेदारों से इसकी कहानियाँ सुनी होती हैं। हम कई बार देश में हुये भ्रस्टाचार या किसी घोटाले के बारे में सुनते हैं, परन्तु हम इस बारे में एक या दो दिन चर्चा करके इसे भूल जाते हैं। ये भ्रस्टाचार या घोटाले भी एक प्रकार की चोरी या ठगी ही है, जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता की जेब पर ही पड़ी होती है।
जब भी हम किसी भीड़ वाले इलाके से पैदल गुजरते हैं तो बार-बार अपनी जेबें, पर्स, बैग आदि को चैक करते हैं।क्योंकि हमें डर रहता है कि कोई हमारे सामान को चुरा न ले। ये हमारा दुर्भाग्य है कि हमें आम तौर पर अपने चारों ओर विचरने वाले लोग चोर उचक्के ही नजर आते है। हम में से कुछ इस तरह की चोरी या ठगी के शिकार हो चुके होते है या फिर हमने अपने दोस्त - रिश्तेदारों से इसकी कहानियाँ सुनी होती हैं। हम कई बार देश में हुये भ्रस्टाचार या किसी घोटाले के बारे में सुनते हैं, परन्तु हम इस बारे में एक या दो दिन चर्चा करके इसे भूल जाते हैं। ये भ्रस्टाचार या घोटाले भी एक प्रकार की चोरी या ठगी ही है, जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता की जेब पर ही पड़ी होती है।